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| Kathgarh Temple Gate |
घर-परिवार से दूर ऐसी जगह में नोकरी करना बड़ी हिम्मत की बात है।कोई अवकाश हो और कमरे में बैठ के वक्त गुज़ारना बेहद कठिन कार्य है।कितना आराम करेंगे,कितना टी.वी.देखेंगे और कितना वट्सएप-फेसबुक करेंगे।पठानकोट शहर सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है यहां से,किन्तु वहां जाना तभी ठीक रहता है जब कोई फ़िल्म वगेरह देखनी हो या कोई शापिंग करनी हो।
आज ईद के दिन वैसे कमरे में आराम करने का मूड है।कमरे में साफ-सफाई करेंगे या छत पे धूप का आनंद लेंगे।सुबह तीन जूते धो डालें क्योंकि उनसे बदबू आ रही थी।दो जैकेट को भी बाल्टी में गरम पानी डाल के जूतों से रौंद के धो डाला।अब आगे क्या करूँ।
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| A statue in the premises of temple |
थोड़ी देर में गीज़र का पानी गरम् होते ही बाथरूम में नहाने के लिए घुस गया।फिर तैयार हो कर प्रभात और उस के रूम-मेट अतुल के कमरे को चल दिया। मेरी लाल आई-टेन कार नीचे पार्किंग में धूप से तपतपा गयी है।कार में घुसते ही ऐसा लग मानो किसी भट्टी में घुस गया हूँ।गरम कार के लिए उचित छायादार जगह इन दोनों लड़कों के किराए के मकान के पास मिल गयी।मकान की पोड़ियाँ चढ़ते हुए,चिकन बनने की महक आ रही है।अतुल किचन में आटे से फुलके पेल रहा है।प्रभात बाथरूम में स्नान कर रहा है।दोनों अभी छड़ें या बेचलर हैं,इसलिए अस्त-त्रस्त रूम में जोर-जोर से किशोर दा पुराना गाना "आते-जाते खूबसूरत आवारा सड़कों पे"डैक पे लगाए बैठे हैं।मैं तुरन्त रिमोट से आवाज़ धीमा कर देता हूँ,क्यूंकि अब 45 की इस उम्र में शोर-शराबा अच्छा नहीं लगता।
अतुल एक दिन पहले ही अपने शहर इलाहबाद से वापिस पहुंचा है।षट त्योहार मनाने के उपरांत वहां से मिठाई भी लाया है।वह किचन से निकल कर मुझे मिठाई खाने को प्रस्तुत करता है।लाजवाब मिठाई है।मूंह में डालते ही तुरन्त गल जाती है।
थोड़ी देर में मंजे के ऊपर अखबार बिछा के खाना खाने का मैदान तैयार किया जाता है।यह यू.पी.बिहार वाले बहुत मसालेदार खाना बनाते हैं।तरी वाली चिकन परोसी जाती है।पहले फुलके लिए जाते हैं।कुकर में चावल की अभी सिटी नहीं उतरी है,क्योंकि बर्तन गरम है।खाना खाने का बहुत मज़ा आया,तसल्ली से खाना खाया।अभी समय 2:30बजे हैं।सोचा थोड़ा बिस्तर पे आराम लेते हैं।जम्भाई आती है और लेट कर आंखे बंद हो जाती हैं।यह है मसालेदार,भारी भोजन करने का व्यापक असर।वे दोनों भी गपशप मारते हुए,आराम फरमा रहे हैं।
थोड़ी देर में मंजे के ऊपर अखबार बिछा के खाना खाने का मैदान तैयार किया जाता है।यह यू.पी.बिहार वाले बहुत मसालेदार खाना बनाते हैं।तरी वाली चिकन परोसी जाती है।पहले फुलके लिए जाते हैं।कुकर में चावल की अभी सिटी नहीं उतरी है,क्योंकि बर्तन गरम है।खाना खाने का बहुत मज़ा आया,तसल्ली से खाना खाया।अभी समय 2:30बजे हैं।सोचा थोड़ा बिस्तर पे आराम लेते हैं।जम्भाई आती है और लेट कर आंखे बंद हो जाती हैं।यह है मसालेदार,भारी भोजन करने का व्यापक असर।वे दोनों भी गपशप मारते हुए,आराम फरमा रहे हैं।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद मैं जागा और नोजवानों से कहा कि चलो यार कहीं घूमने चलते हैं।पर जाएं तो किधर।प्रभात बिस्तर पर लेटे-लेटे नरेश नाम के एक लोकल युवा,जो हमारे आफिस में सुरक्षा प्रहरी है को फोन कर के पूछता है कि आस-पास कौन सी जगह है घूमने लायक।नरेश ने बताया कि बाजार में ही घूम रहा हूँ और कमरे आता हूँ।मैं धूप सेकने बाहर छत पे आ गया।इतने में नरेश पहुंच गया।उसने काठ गढ़ शिव मन्दिर जाने को कहा।रुट के बारे में भी बता दिया।मैंने तुरन्त प्रभात और अतुल को तैयार होने को कह दिया।
इस वक्त दोपहर के 4 बज चुके हैं।नवम्बर की धूप अब हल्की है।थोड़ी देर में सूर्यास्त हो जाएगा।फटाफट तैयार हो कर हम सब कार में घुस कर चल पड़े।गुजर के तालाब वाली रोज़ाना की सड़क से ही जाना है।इन्दौरा यहां से करीब 30 किलोमीटर है।शाम होने की वजह से कार की रफ्तार बढ़ा देता हूँ।कार के स्टीरियो से कुछ सूफी कव्वाल गानों का दौर शुरू होता है।
प्रभात अपने मोबाइल फोन पर नज़र टिकाए हुए है।वह भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रहे सीरीज़ का पहला 20-20 मैच देख रहा है।कंगारू खेल चुके हैं और 180 रन उन्होंने बनाए हैं।भारत के 2 खिलाड़ी रोहित शर्मा और राहुल आउट हो चुके हैं।धवन चौके-छक्के मार रहा है।आगे का ब्यौरा भी प्रभात सुनाता जा रहा था।15 मिन्ट्स में गंगथ नामक जगह पहुंचे।छोटा सा बाजार है और टिपिकल हिमाचली देहाती गांव है।
अब सड़क में खड्डे शुरू हो गए हैं।तंग सड़क और घुमावदार अंधे मोड़ों की वजह से कार की रफ्तार धीमी हो गयी है।लोवर शिवालिक की इन छोटी पहाड़ियों में से गुजरते हुए साफ़ पता चल रहा है कि हम ऊपर से नीचे मैदान की ओर जा रहे हैं।धीरे-धीरे उतराई महसूस हो रही है।कुछ ही दूर आगे पंजाब के गुरदासपुर जिले का इलाका है।
हिमाचल के यह वोह इलाका है जो बिल्कुल पंजाब से सटा है।अब हम एक घण्टे के उपरांत इंदौरा पहुंच गए।सड़क के दोनों ओर आम के बागान दिख रहे थे।छोटा सा बाजार है।एक चौक है जहां पे एक सड़क बायां डमटाल से है जो पठानकोट हिमाचल के बेरियर से लिंक है।सामने एक बहुत बड़ा गेट दिखाई दे रहा है जिस में लिखा है काठगढ़ द्वार।इंदौरा बाजार से काठगढ़ मन्दिर 6 किलोमीटर दूर है।जस्सूर से चलें तो यह कुल 27 किलोमीटर दूर है और वहीं पठानकोट ,डमटाल,नङ्गलभुर और मिरथल होते हुए 20 किलोमीटर दूर है।
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| Bangles put by wishers |
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| Nandi near Banyan tree |
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| Two inseparable Lingas |
मैंने इस प्रसिद्ध मंदिर के इतिहास पे थोड़ा ध्यान दिया।सूत्रों के अनुसार शिव-पुराण में इस मंदिर का उल्लेख है।यहां पे विष्णु भगवान और ब्रह्मा में भयंकर युद्ध हुआ था।इस युद्ध में अंततः विष्णु ने पाशुपतास्त्र को ब्रह्मा के विरुद्ध यूज़ करने का निर्णय लिया।यह अस्त्र सिर्फ शिव व काली ही यूज़ करते हैं और इस में सृष्टि का भयंकर नुकसान होना स्वाभाविक था किन्तु इस बीच स्वयं शिव के अग्निगठा या पिल्लर के रूप में उन दोनों के बीच प्रकट हुए,जिस से यह युद्ध समाप्त हुआ।यह अग्नि के रूप में पिल्लर ही बाद में शिव लिंग के रूप में यहां स्थापित हुआ।
यह भी बताया जाता है कि भगवान राम के भ्राता भरत जब भी अयोध्या से अपने पुश्तेनी मामाओं से मिलने जब काकरथ(कश्मीर) जाते थे तो अवश्य काठ मन्दिर में रुकते थे और वहां शिव की आराधना में पूजा अवश्य करते थे।
इंदौरा के इस काठगढ़ मन्दिर से करीबन 4 किलोमीटर दूर मिरथल नामक जगह है।यह पंजाब के जिला गुरदासपुर के पठानकोट तहसील में आता है।यहां पर ब्यास नदी एक अन्य खड छोच से मिलकर हिमाचल से पंजाब सीमा में प्रवेश करती है।मिरथल नामक यह जगह इस लिए प्रसिद्ध है कि मकदूनिया के राजा सिकन्दर महान जब दुनिया को फतह करते-करते यहां पहुंचे तो यहां पर पठानकोट जिसे उस समय प्रस्थाल कहते थे,वहां के शासक ओडम्बराज व काठ नामक स्थानीय वर्णों ने मिलकर सिकन्दर की सेना के साथ लोहा लिया था।इस युद्ध में करीबन 17000 स्थानीय सैनिक मारे गए।यूनानी सेना को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा।
युद्ध के दौरान काठ मन्दिर में सिकन्दर ने एक दिव्य साधु को देखा और उसे उन्होंने मकदूनिया चलने को कहा किन्तु साधु महज हंसे और उन्होंने स्पष्ठ इनकार कर दिया।इन साधु से प्रभावित हो कर सिकन्दर ने बाद में इस शिव मंदिर को आस्थावश बहुत कुछ दान दिया और मन्दिर में यूनानी कलाकारों से कुछ भित्ति चित्र आदि भी बनवाए।
तो यह तो था कुछ काठगढ़ मन्दिर और उसके साथ लगते इलाके का इतिहास।अब शाम के 5 बजने वाले थे।सूर्य अस्त होने से पहले बिल्कुल लाल धब्बे का रूप धरे गोले के रूप में पश्चिम दिशा में दिख रहा था।हम मन्दिर के दूसरी तरफ गए जहां लंगर हाल लिखा था।उधर से देखने पर एकदम ऐसा लगा जैसे कि यह मंदिर किसी ऊंचे चबूतरे पे बना हो।लगभग 4 मंज़िल पौड़ियाँ से उतर कर हम मन्दिर के पिछली तरफ बने प्रांगण में पहुंचे।
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| Backyard of the temple |
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| A swimming pool at backyard |
कुछ चंडीगढ़ के रोक गार्डन की तरह जानवरों व मनुष्य की सीमेंट से बनी आकृतियां भी बनाई गई हैं।यह सब देख कर अब हम बेक साइड से पुनः मन्दिर में चढ़े।
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| Radha-Krishna temple |
इस तरह अब दर्शन करने के उपरांत हम लोग करीब 6 बजे वापिस जस्सूर को चल पड़े।अंधेरा हो चुका था।एक जगह वीराने में मैंने गलती से गाड़ी रहन जाने वाली सड़क पे डाल दी।जब गलती महसूस हुई तो करीब एक किलोमीटर से गाड़ी वापिस मोड़ ली।ठीक 7 बजे शाम को हम जस्सूर पहुंचे।हमारा दिन बर्बाद नहीं गया।
इस बीच प्रभात ने बताया कि इंडिया-आस्ट्रेलिया के बीच चल रहे 20-20 मैच सीरीज़ के प्रथम मैच को ऑस्ट्रेलिया ने DLF मेथड से जीत लिया है क्योंकि थोड़ी से बारिश हुई थी।भारत ने 20 ओवर में 7 विकेट पर 169 बनाए थे।जवाब में कंगारुओं के मेक्सवैल के 46 व स्टोनिस के 33 रन के बदौलत 158/4 कर के मैच जीत लिया।धवन के धुएंधार 76 रन भी काम नहीं आए।












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